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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2687
आईएसबीएन :0

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एम ए सेमेस्टर-1 शिक्षाशास्त्र तृतीय प्रश्नपत्र - उच्चतर शैक्षिक मनोविज्ञान

प्रश्न- दुश्चिंता पर टिप्पणी लिखिए।

अथवा
दुश्चिंता पर लेख लिखिए।

उत्तर -

दुश्चिंता एक प्रक्रिया में रुकावट समझी जाती है। एक व्यक्ति जो दुश्चिंता से पीड़ित होता है एक कार्य करने में पूर्ण शक्ति का प्रयोग नहीं कर सकता। इस प्रकार यह विचार किया जाता है कि दुश्चिता क्रिया में रुकावट डालती है और इस तरह सीखने की गति में कमी आ जाती है।

बुग्लेस्की के अनुसार - “अवधान सीखने में एक प्राथमिक तत्व है। अवधान पुरस्कार की इच्छा, दण्ड से बचने की इच्छा, जिज्ञासा इत्यादि के परिणामस्वरूप होता है, किन्तु अवधान के लिये मूल वस्तु दुश्चिंता है।"

'सुलीवन के निरीक्षणों ने उसे एक बात पर विश्वास दिलाया कि दुश्चिंता सम्बन्धी प्रारम्भिक अनुभव शैशवकाल में होते हैं। जब बालक शैशवकाल में अपने माता-पिता में संवेगात्मक तनाव या दुःख देखता है तो उसे दुश्चिंता का अनुभव होने लगता है। सुलीवन ने अनुभव किया कि बालक ने परेशानी में झुंझलाहट के भाव प्रदर्शित किए और खाने से मना करना प्रारम्भ किया जबकि उसकी माता अप्रसन्न थी या निराशा से भरी थी। यहाँ तक देखा गयाकि उस समय भी उसके जब माता उन घटनाओं से परेशान थी जो बालक से किसी भी प्रकार से सम्बन्धित नहीं थी तब भी बालक में दुश्चिंता प्रकट हो गयी। सुलीवन के अनुसार, माता और शिशु में इतना निकट संवेगात्मक सम्बन्ध है कि माता के बालक की ओर जरा भी विपरीत भाव उसकी सुरक्षा के भाव को धक्का लता देते हैं। बालक यह समझने लगता है कि माता अब उसे सुरक्षा नहीं देगी और प्रेम नहीं करेगी। असुरक्षा का भाव और माता से मनोवैज्ञानिक एकाकीपन के अनुभव का है इसी अनुभव के भाव को मनोवैज्ञानिक सुलीवन दुश्चिंता के नाम से इसे परिभाषित करते हैं।

जो दुश्चिंता सबसे पहले शैशवकाल में अनुभव करते हैं वही जीवन भर हमारे व्यवहार पर प्रभाव डालती है। यह उस समय प्रकट हो जाती है जिसके कारण दूसरे व्यक्ति उसकी आलोचना करते हैं कि वह झुंझलाहटपूर्ण व्यवहार प्रदर्शित करते हैं उनका व्यवहार दूसरे व्यक्ति पसन्द नहीं करते हैं तथा उन्हें त्याग भी देते हैं। जितना महत्व का हमारे लिए त्यागने वाला व्यक्ति होगा और जितना अधिक उसका दबाव होगा उतनी ही अधिक दुश्चिंता होगी। व्यवहार भी दुश्चिंता उत्पन्न कर देता है। ऐसा उस समय होता है जब बालक अपने को ऐसा व्यवहार करते पाते हैं। वे परिस्थितियाँ जो अस्पष्ट हैं, या भावात्मक हैं, वह भी दुश्चिंता उभारती है। भविष्य दुश्चिंता का बड़ा स्रोत है क्योंकि इसमें अनिश्चितता होती है। इसी कारण भविष्य के लिए योजना बनाते हैं और ऐसी सावधानियाँ अपनाते हैं कि भविष्य में दुश्चिंता का सामना कम करना पड़े यदि दुश्चिंता हो भी तो उससे बचाव की स्थिति तैयार हो सके।

मनोचिकित्सक ऐण्डरसन का तो यह कहना है कि सब मानव व्यवहार दुश्चिंता से बचाव पर ही आधारित है। जो कुछ भी कोई व्यक्ति करता है, जो विकल्प चुनता है, जो प्रतिक्रिया करता है, प्रत्येक उसके व्यवहार का पद और विवरण दुश्चिंता को दूर रखने के लिए ही होता है व्यक्ति चाहे तो दुश्चिंता को इतना महत्व न दे, किन्तु यह तो आवश्यक है कि व्यक्ति प्रतिदिन के व्यवहार में विशेषकर दूसरों के साथ सम्बन्धों में दुश्चिंता का समावेश अवश्य होता है

यहाँ इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि दुश्चिंता में कुछ लाभ भी निहित होते हैं व्यक्ति की यह अभिलाषा कि हम दुश्चिंता से बचें, हमें सावधानी बरतना और दूसरों के प्रति ध्यानशील होना, सिखाती है।

सामाजिक स्थितियों में बहुत कुछ सीखना इस कारण होता है कि व्यक्ति दुश्चिंता को कम करना अथवा दूर करना चाहता है। बालक अपने व्यवहार में परिवर्तन ले आते हैं ताकि अपने माता-पिता को निराश न करें। अपने माता-पिता को प्रसन्न करने के लिए बालक परीक्षा पास करने के लिए मेहनत करते हैं।

एलीसन एवं ऐश के परीक्षण जो चलचित्र से सीखने में दुश्चिंता का प्रभाव पता करने के लिए थे। इस परिणाम पर आए कि दुश्चिंता के स्तर को बढ़ाने में परीक्षण से प्राप्तांकों में वृद्धि होती है।

साधारण दुश्चिंता की विद्यार्थियों को सीखना (ग्रहण) करने योग्य बनाती है। यदि इस प्रकार की दुश्चिंता सामाजिक स्थितियों में नहीं है तो विद्यार्थी अपने अधिकार और दूसरों की भावना की ओर से लापरवाह हो जाते हैं। ऐसे बालक आत्मकेन्द्रित हो जाते हैं। वह दूसरों की परवाह नहीं करते, किन्तु अधिकतर बालक साधारण दुश्चिंता विकास करना सीख जाते हैं। यह उन पर सामाजिक प्रभाव रखती है और बालकों को आत्मनियंत्रण और आत्मविरोध सीखने के योग्य बनाती है।

जो बालक दुश्चिंता की अधिकता अनुभव करते हैं वह सीखने में प्रगति नहीं कर पाते। वह इस प्रकार के व्यवहार प्रतिमानों को विकसित कर देते हैं जो अवांछनीय है। उदाहरण के लिए एक ही विद्यार्थी परीक्षा में बहुत अधिक दुश्चिंता से पीड़ित होते हुए प्रवेश करता है तो वह प्रश्नों को गलत समझ सकता है और बहुत कुछ सामग्री भूल भी सकता है।

कोक्स महोदय ने मेलबोर्न, आस्ट्रेलिया के पाँचवीं ग्रेड में विद्यार्थियों को दश्चिंता परीक्षण दिये और उन्हें तीन समूहों में विभाजित किया, जो उच्च, मध्य और निम्न स्तर की दुश्चिंता के आधार पर थे। मध्य दुश्चिंता वाले समूह का शैक्षिक कार्य दूसरे दोनों समूहों से अच्छा था। सबसे खराब कार्य उच्च दुश्चिंता समूह का था। अन्त में यह कह सकते हैं कि एक प्रभावशाली शिक्षक वह है जो यह जानता है कि दुश्चिंता को कक्षा में कैसे उत्पन्न किया जाए। अच्छा अध्यापक दुश्चिंता के स्तर का पता रखता है जो कक्षा में प्रस्तुत होती है। यदि वह इसे अधिक पाता है तो कम करने की चेष्टा करते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान का अर्थ बताइये एवं इसकी प्रकृति को संक्षेप में स्पष्ट कीजिये !
  2. प्रश्न- मनोविज्ञान और शिक्षा के सम्बन्ध का विवेचन कीजिये और बताइये कि मनोविज्ञान ने शिक्षा सिद्धान्त और व्यवहार में किस प्रकार की क्रान्ति की है?
  3. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान की भूमिका या महत्त्व बताइये।
  4. प्रश्न- 'शिक्षा मनोविज्ञान का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये। शिक्षक प्रशिक्षण में इसकी सम्बद्धता क्या है?
  5. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान की विकासात्मक विधि को समझाइये तथा इस विधि की विशेषताओं एवं सीमाओं का उल्लेख कीजिये।
  6. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान के प्रमुख उद्देश्यों का उल्लेख कीजिये।
  7. प्रश्न- शैक्षिक सिद्धान्त व शैक्षिक प्रक्रिया के लिये शैक्षिक मनोविज्ञान का क्या महत्त्व है?
  8. प्रश्न- मनोविज्ञान की विभिन्न परिभाषाओं को स्पष्ट कीजिये।
  9. प्रश्न- व्यवहारवाद की प्रमुख विशेषताएँ बताइए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवाद सम्प्रदाय का क्या योगदान है?
  10. प्रश्न- व्यवहारवाद तथा शिक्षा के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  11. प्रश्न- गैस्टाल्ट मनोविज्ञान का शैक्षिक महत्व बताते गेस्टाल्टवाद का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- प्रकार्यवाद क्या है? उल्लेख कीजिए। प्रकार्यवाद का सिद्धान्त बताइए।
  13. प्रश्न- अवयवीवाद (गेस्टाल्टवाद) की मुख्य विशेषतायें बताइये।
  14. प्रश्न- फ्रायड के मनोविश्लेषणवाद को समझाइये।
  15. प्रश्न- शिक्षा मनोविज्ञान शिक्षा की कुछ महत्त्वपूर्ण समस्याओं का समाधान करता है कैसे?
  16. प्रश्न- मनोविज्ञान में व्यवहारवाद की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- व्यवहारवाद क्या है? इसका शैक्षिक महत्व बताइये।
  18. प्रश्न- मनोविज्ञान के सम्प्रदाय का अर्थ तथा प्रकार का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- संरचनावाद का शिक्षा में क्या योगदान है?
  20. प्रश्न- अधिगम के अर्थ एवं प्रकृति की विवेचना कीजिए। अधिगम एवं परिपक्वता के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- अधिगम की परिभाषा बताइए।
  22. प्रश्न- अधिगम की प्रकृति समझाइये।
  23. प्रश्न- परिपक्वता और सीखने में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन-से हैं? उन्हें स्पष्ट कीजिए।
  25. प्रश्न- अधिगम को प्रभावित करने वाले अध्यापक से सम्बन्धित कारक कौन-से हैं?
  26. प्रश्न- विषय से सम्बन्धित अधिगम को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिए।
  27. प्रश्न- अधिगम के वातावरण सम्बन्धी कारकों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- 'अनुबन्धन' से क्या अभिप्राय है? पावलॉव और स्किनर के सीखने के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को नियंत्रित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं?
  30. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं?
  31. प्रश्न- प्रानुकूलित अनुक्रिया से आप क्या समझते हैं? इस सिद्धान्त का शिक्षा में प्रयोग बताइये।
  32. प्रश्न- अनुकूलित-अनुक्रिया सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  33. प्रश्न- स्किनर द्वारा सीखने के सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  34. प्रश्न- थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित अधिगम के विभिन्न नियमों का उल्लेख कीजिए।
  35. प्रश्न- थार्नडाइक के उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- गेस्टाल्ट का समग्राकृति अथवा अन्तर्दृष्टि का सिद्धान्त क्या है?
  37. प्रश्न- स्किनर के सक्रिय अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धान्त के शिक्षा में प्रयोग को समझाइये |
  38. प्रश्न- थार्नडाइक के सम्बन्धवाद अथवा प्रयास व त्रुटि के सिद्धान्त के द्वारा अधिगम को समझाइये |
  39. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण क्या है? अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइये।
  40. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण के प्रकार बताइए।
  41. प्रश्न- अधिगम स्थानान्तरण की दशाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  42. प्रश्न- अधिगमान्तरण के विभिन्न सिद्धान्तों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर अभिप्रेरणा का अर्थ स्पष्ट करते हुए अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- अभिप्रेरणा के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  45. प्रश्न- अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक कौन-से हैं? उल्लेख कीजिये।
  46. प्रश्न- 'प्रेरणा' के सम्प्रत्यय का वर्णन कीजिए। छात्रों को अभिप्रेरित करने के लिए आप किन तकनीकों या विधियों का प्रयोग करेंगे?
  47. प्रश्न- अभिप्रेरणा क्या है? अभिप्रेरणा एवं व्यक्तित्व किस प्रकार सम्बन्धित हैं?
  48. प्रश्न- अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है? अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  50. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल प्रवृत्ति सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- अभिप्रेरणा का मूल मनोविश्लेषणात्मक सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  52. प्रश्न- अभिप्रेरणा का उद्दीपन-अनुक्रिया सिद्धान्त को समझाइये |
  53. प्रश्न- शैक्षिक दृष्टि से अभिप्रेरणा का क्या महत्त्व है?
  54. प्रश्न- विभिन्न परिभाषाओं के आधार पर बुद्धि का अर्थ स्पष्ट करते हुये बुद्धि की प्रकृति या स्वरूप तथा उसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
  55. प्रश्न- बुद्धि की प्रकृति एवं स्वरूप का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- बुद्धि की विशेषताओं को समझाइये |
  57. प्रश्न- बुद्धि परीक्षा के विभिन्न प्रकार कौन-से हैं? वैयक्तिक व सामूहिक बुद्धि परीक्षा की तुलना कीजिये।
  58. प्रश्न- सामूहिक बुद्धि परीक्षण से आप क्या समझते हैं?
  59. प्रश्न- शाब्दिक व अशाब्दिक तथा उपलब्धि परीक्षण को स्पष्ट कीजिये।
  60. प्रश्न- वाचिक अथवा अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण से क्या अभिप्राय है? उल्लेख कीजिये।
  61. प्रश्न- स्टैनफोर्ड बिने मानदण्ड क्या है?
  62. प्रश्न- बर्ट द्वारा संशोधित बुद्धि परीक्षण को बताइये।
  63. प्रश्न- अवाचिक वैयक्तिक बुद्धि परीक्षण के प्रकार बताइये।
  64. प्रश्न- वाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षण कौन से हैं?
  65. प्रश्न- अवाचिक सामूहिक बुद्धि परीक्षणों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- बुद्धि परीक्षण के विभिन्न उपयोगों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- आई. क्यू. (I.Q.) से क्या तात्पर्य है? यह कैसे नापा जाता है? क्या आई. क्यू. स्थायी होता है? बुद्धि कहाँ तक पितृगत होती है? अपने उत्तर के समर्थन में प्रयोगात्मक प्रमाणों का उल्लेख कीजिये।
  68. प्रश्न- क्या आई. क्यू. (बुद्धिलब्धि) स्थायी होती है?
  69. प्रश्न- बुद्धि कहाँ तक पितृगत (वंशानुगत) होती है?
  70. प्रश्न- बुद्धि के स्वरूप व प्रकारों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- बुद्धि के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  72. प्रश्न- बुद्धि-लब्धि क्या है?
  73. प्रश्न- बुद्धि की पहचान किन तथ्यों के माध्यम से की जा सकती है? व्याख्या कीजिए।
  74. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता से आप क्या समझते हैं? इसके कारणों एवं प्रकारों का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  75. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता होने के क्या-क्या कारण हैं?
  76. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता कितने प्रकार की होती है? प्रत्येक का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता मापने की विधियाँ बताइये।
  78. प्रश्न- व्यक्तिगत भिन्नता और शिक्षा में क्या सम्बन्ध है?
  79. प्रश्न- व्यक्तिगत विभिन्नता का शिक्षा में क्या महत्व है?
  80. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता से आप क्या समझते है? शिक्षा में इसके महत्व का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नताओं के मापन पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- वैयक्तिक विभिन्नता का मापन व्यक्तित्व परीक्षा द्वारा कैसे किया जाता है?
  83. प्रश्न- परीक्षण के बाद व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइए।
  84. प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण से व्यक्तिगत विभिन्नता का मापन बताइये।
  85. प्रश्न- वैयक्तिक भिन्नता पर आधारित शिक्षण प्रविधियों का उल्लेख कीजिए।
  86. प्रश्न- डेक्रोली शिक्षण योजना को स्पष्ट कीजिए।
  87. प्रश्न- कॉन्ट्रेक्ट शिक्षण योजना तथा प्रोजेक्ट शिक्षण योजना का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- डाल्टन योजना को स्पष्ट कीजिए।
  89. प्रश्न- अभिक्रमित अनुदेशन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- निष्पत्ति लब्धि की व्याख्या कीजिए।
  91. प्रश्न- शिक्षा-लब्धि पर टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- निष्पत्ति परीक्षण की शैक्षिक उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख प्रकारों का उल्लेख कीजिये।
  94. प्रश्न- थार्नडाइक ने व्यक्तित्व को कितने भागों में विभाजित किया है?
  95. प्रश्न- स्प्रैगर के अनुसार व्यक्तित्व के प्रकार बताइए।
  96. प्रश्न- युंग द्वारा बताए गए व्यक्तित्व के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व का निर्धारण करने वाले जैविक एवं वातावरणजन्य कारकों का विवेचन कीजिये।
  98. प्रश्न- व्यक्तित्व के प्रमुख गुणों (विशेषताओं) या शीलगुण सिद्धान्त का विस्तार का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- व्यक्तित्व के निर्धारण में वंशानुक्रम तथा पर्यावरण की भूमिका बताइए।
  100. प्रश्न- व्यक्तित्व निर्धारण में विद्यालय कैसे प्रभाव डालता है?
  101. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  102. प्रश्न- फ्रायड के सिद्धान्त के प्रमुख तत्व बताइये।
  103. प्रश्न- फ्रायड द्वारा बताई गई रक्षा युक्तियों को समझाइये।
  104. प्रश्न- व्यक्तित्व की संरचना से सम्बन्धित युंग के सिद्धान्त को बताइये।
  105. प्रश्न- युंग के अनुसार व्यक्तित्त्व का वर्गीकरण कीजिये।
  106. प्रश्न- व्यक्तित्व क्या है? व्यक्तित्व मापन के प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- व्यक्ति की किशोरावस्था या प्रौढ़ावस्था में उसके मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार संरक्षित किया जा सकता है?
  108. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था में मानसिक स्वास्थ्य को किस प्रकार से संरक्षित किया जायेगा?
  109. प्रश्न- कौन-कौन से कारक मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं और शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा नामे रखने के उपाय बताइए।
  110. प्रश्न- शिक्षक के मानसिक स्वास्थ्य को अच्छा बनाए रखने के उपाय बताइये।
  111. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व से आप क्या समझते हैं? इसके क्या कारण हैं?
  112. प्रश्न- मानसिक द्वन्द्व के स्रोत बताइए।
  113. प्रश्न- समायोजन से क्या आशय है? विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के कारण बताइये।
  114. प्रश्न- समायोजन की विशेषताएँ बताइये।
  115. प्रश्न- विद्यालयी बालकों में कुसमायोजन के लिए कौन-कौन से कारण उत्तरदायी हैं? उनका वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- बचाव (समायोजन) क्या है? प्रमुख बचाव (समायोजन) यंत्रीकरणों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कीजिए।
  117. प्रश्न- 'संघर्ष' को परिभाषित कीजिए।
  118. प्रश्न- भग्नाशा (कुंठा) को परिभाषित कीजिए। भग्नाशा के प्रमुख कारणों की चर्चा कीजिए।
  119. प्रश्न- दुश्चिंता पर टिप्पणी लिखिए।
  120. प्रश्न- समायोजन स्थापित करने की विभिन्न तकनीकों की व्याख्या कीजिए।
  121. प्रश्न- तनाव प्रबन्धन क्या है?
  122. प्रश्न- समायोजन विधि को संक्षेप में समझाइये।

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